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नई दिल्ली: पाकिस्तानी अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली 20 मार्च से 7 जून, 2007 तक मुंबई में रुका था। जहां वह हमले के लिए सही ठिकाने की तलाश कर रहा था। हेडली ने मुंबई आतंकी हमले के तीन साल बाद यानी 2011 में अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी एफबीआई से पूछताछ के दौरान बताया था कि मैंने पुणे की जर्मन बेकरी की रेकी की थी और दिल्ली, पुष्कर, पुणे के चाबाड हाउसेज को बम धमाकों से उड़ाने के लिए पहचान की थी। मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर आज जानते हैं आतंकी डेविड कोलमैन हैडली और उसके एक सहयोगी तहव्वुर राणा की कहानी, जो भारत के शिकंजे से अभी दूर हैं। जानते हैं इस मामले में बाकी गुनहगारों के बारे में।
कोलाबा की एक बेकरी से शुरू हुई खूनी साजिश
‘डोंगरी टु दुबई’ और ‘ब्लैक फ्राइडे’ जैसी चर्चित किताबें लिखने वाले पत्रकार और लेखक एस हुसैन जैदी की किताब 'हेडली एंड आई' के अनुसार, हेडली ने बताया कि मुझे कोलाबा में एक चर्चित बेकरी मिली, जहां मैं रेगुलर जाने लगा। वहां काउंटर पर करीब 20 साल की खूबसूरत लड़की मिली, जिससे मैं नजरें नहीं हटा पा रहा था।
लड़की को रिझाने के लिए खरीद डाली 2000 की पेस्ट्री
हेडली ने एफबीआई को बताया कि मैंने सोच लिया था, उससे दोस्ती बढ़ाऊंगा और उसे डिनर पर ले जाऊंगा। उसे इंप्रेस करने के लिए मैंने 2000 रुपए की पेस्ट्री खरीद डाली। और यहीं से मेरी उससे दोस्ती की शुरुआत हो गई। मैं उससे कई बार मिला, मगर वह बेहद इंटेलिजेंट थी, जिससे मैं उससे कभी बेड तक चलने के लिए कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। औरतें मेरी कमजोरी थीं, मगर उससे बात नहीं बनी।
जब तहव्वुर राणा से मिले हेडली को मिले मैसेज
हेडली को इसी दौरान मुंबई हमले के एक और सह आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के मैसेज कराची से मिले, जो उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जैसे आकाओं ने दिए थे। हेडली को पुणे जाने को कहा गया। हेडली ने कहा- ’मैं लश्कर के निर्देश पर पुणे गया, जहां मैंने पहले तो ओशो के आश्रम की रेकी की, मगर मुझे धमाके के लिए सबसे सटीक ओशो आश्रम के पास जर्मन बेकरी लगी। जो इजरायल मूल के यहूदी लोगों के चाबाड हाउस के पास ही थी।
जुलाई तक तय हो चुका था कि हमला कहां होना है
हेडली के मुताबिक, शाम को इस बेकरी में काफी विदेशी जमा हो जाते थे और ताजी बेक्ड ब्रेड और दूसरी चीजें ले जाते थे। जुलाई, 2008 में मैं जब पुणे की ट्रिप से वापस लौट रहा था तो मेरे टारगेट्स क्लियर हो चुके थे। मैंने तय किया था कि हमलों के लिए दक्षिण मुंबई के इलाके और पुणे की जर्मन बेकरी सबसे सटीक ठिकाने होंगे।’
हेडली और राणा ने आईएसआई को बताए थे टारगेट्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के अफसर मेजर इकबाल से हेडली और मुंबई हमले में सह आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को निर्देश मिलते थे। कनाडाई नागरिक राणा और हेडली ने मुंबई हमले के लिए जगहों की तलाश की थी और अपने आकाओं को धमाके के लिए सही टारगेट्स बताए थे। लश्कर ने ईरान और बांग्लादेश में भी अपने आतंकी सेल बनाए थे।
यहूदियों की वजह से निशाने पर होती हैं बेकरी
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार, पुणे की जर्मन बेकरी जैसे मुंबई या अन्य जगहों की बेकरी आतंकियों के निशाने पर हमेशा इसलिए रही हैं, क्योंकि वहां पर यहूदी और अमेरिकी नागरिक ज्यादा आते हैं। इसलिए ऐसी जगहें अलकायदा या लश्कर के निशाने पर होती हैं। फलस्तीन-इजराइल संघर्ष को लेकर इस्लामी चरमपंथियों में काफी गुस्सा रहता है। यही वजह है कि वे ऐसी जगहों को निशाना बनाते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा यहूदी लोग मारे जा सकें।
क्या हुआ था 26 नवंबर को, कितने आतंकी आए थे
26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले को पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था। लश्कर के ये आतंकी कराची से अल हुसैनी नौका से आए थे। बाद में उन्होंने एमवी कुबेर नाम की एक भारतीय नौका पर कब्जा कर लिया था। मुंबई पहुंचते ही आतंकियों ने की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था, जो तीन दिन तक चला। मुंबई हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे।
तीन दिन तक चला था आतंक
साल 2008 की 26 नवंबर की उस रात को एकाएक मुंबई गोलियों की आवाज से दहल उठी। हमलावरों ने मुंबई के दो पांच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू हुआ मौत का ये तांडव ताजमहल होटल में जाकर खत्म हुआ। इसे संभालने में सुरक्षाकर्मियों को 80 से भी ज्यादा घंटे लग गए।
कसाब को फांसी और 9 बंदूकधारियों को मार गिराया
पुलिस ने मुंबई हमले के मुख्य आरोपी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। बाकी के 9 आतंकी पुलिस कार्रवाई में मारे गए थे। फरवरी 2009 में पुलिस ने मामले में अपना पहला आरोपपत्र दायर किया। ये 11,000 से अधिक पृष्ठों का था, जिसमें 2,000 से अधिक गवाहों के नाम थे। पुलिस ने हमलों की साजिश रचने और सहायता करने के लिए हाफिज सईद सहित 35 वांटेड आरोपियों को नामित किया। कसाब और दो भारतीय नागरिकों सहित तीन को गिरफ्तार किया गया और आरोप पत्र में नामित किया गया। 26/11 मामले की कसाब से जुड़े मामले कीी एक सुनवाई पूरी हो पाई। कसाब पर मुकदमा चला। उसे मौत की सजा सुनाई गई और 21 नवंबर, 2012 को उसे फांसी दे दी गई।
अबू जिंदाल सलाखों के पीछे, चल रहा मुकदमा
मुंबई हमला मामले में एक और आरोपी जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल, जिस पर पाकिस्तान में एक नियंत्रण कक्ष के माध्यम से हमले की रात शहर में प्रवेश करने वाले 10 आतंकियों की साजिश में साथ देने का आरोप है। वह मुकदमा का सामना कर रहा है। पुलिस ने कसाब की जांच से मिली जानकारी पर भरोसा किया था, जिससे पता चला कि जिस भारतीय ने उसे हिंदी सिखाई थी, वह अबू जुंदाल ही था।
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की कोशिश जारी
पाकिस्तानी मूज के तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कराने की मुंबई पुलिस की कोशिश सफल रही तो उसे एक अलग ट्रायल चलेगा। हाल ही में तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। इसी साल 15 अगस्त को अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत तहव्वुर को भारत भेजे जाने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ ही राणा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उसकी पिछली कई अपीलें खारिज हो चुकी हैं। अब अगर सुप्रीम कोर्ट भी तहव्वुर की अपील को खारिज कर देता है तो वह आगे और अपील नहीं कर पाएगा। इसके बाद तहव्वुर को भारत लाया जा सकेगा। तहव्वुर पर मुंबई हमले की फंडिंग का आरोप है।
हेडली को अमेरिका में मिली 35 साल की सजा
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड सी हेडली ने 2011 में आतंकवादियों को हमलों की योजना बनाने में मदद करने का अपराध स्वीकार किया था। जनवरी 2013 में उसे अमेरिका की एक संघीय अदालत ने 35 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक हेडली ने अमेरिका से सौदा किया था कि वो उनके साथ पूरा सहयोग करेगा, बशर्ते उसे भारत या पाकिस्तान प्रत्यर्पित न किया जाए।
कोलाबा की एक बेकरी से शुरू हुई खूनी साजिश
‘डोंगरी टु दुबई’ और ‘ब्लैक फ्राइडे’ जैसी चर्चित किताबें लिखने वाले पत्रकार और लेखक एस हुसैन जैदी की किताब 'हेडली एंड आई' के अनुसार, हेडली ने बताया कि मुझे कोलाबा में एक चर्चित बेकरी मिली, जहां मैं रेगुलर जाने लगा। वहां काउंटर पर करीब 20 साल की खूबसूरत लड़की मिली, जिससे मैं नजरें नहीं हटा पा रहा था।लड़की को रिझाने के लिए खरीद डाली 2000 की पेस्ट्री
हेडली ने एफबीआई को बताया कि मैंने सोच लिया था, उससे दोस्ती बढ़ाऊंगा और उसे डिनर पर ले जाऊंगा। उसे इंप्रेस करने के लिए मैंने 2000 रुपए की पेस्ट्री खरीद डाली। और यहीं से मेरी उससे दोस्ती की शुरुआत हो गई। मैं उससे कई बार मिला, मगर वह बेहद इंटेलिजेंट थी, जिससे मैं उससे कभी बेड तक चलने के लिए कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। औरतें मेरी कमजोरी थीं, मगर उससे बात नहीं बनी।जब तहव्वुर राणा से मिले हेडली को मिले मैसेज
हेडली को इसी दौरान मुंबई हमले के एक और सह आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के मैसेज कराची से मिले, जो उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जैसे आकाओं ने दिए थे। हेडली को पुणे जाने को कहा गया। हेडली ने कहा- ’मैं लश्कर के निर्देश पर पुणे गया, जहां मैंने पहले तो ओशो के आश्रम की रेकी की, मगर मुझे धमाके के लिए सबसे सटीक ओशो आश्रम के पास जर्मन बेकरी लगी। जो इजरायल मूल के यहूदी लोगों के चाबाड हाउस के पास ही थी।जुलाई तक तय हो चुका था कि हमला कहां होना है
हेडली के मुताबिक, शाम को इस बेकरी में काफी विदेशी जमा हो जाते थे और ताजी बेक्ड ब्रेड और दूसरी चीजें ले जाते थे। जुलाई, 2008 में मैं जब पुणे की ट्रिप से वापस लौट रहा था तो मेरे टारगेट्स क्लियर हो चुके थे। मैंने तय किया था कि हमलों के लिए दक्षिण मुंबई के इलाके और पुणे की जर्मन बेकरी सबसे सटीक ठिकाने होंगे।’हेडली और राणा ने आईएसआई को बताए थे टारगेट्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के अफसर मेजर इकबाल से हेडली और मुंबई हमले में सह आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को निर्देश मिलते थे। कनाडाई नागरिक राणा और हेडली ने मुंबई हमले के लिए जगहों की तलाश की थी और अपने आकाओं को धमाके के लिए सही टारगेट्स बताए थे। लश्कर ने ईरान और बांग्लादेश में भी अपने आतंकी सेल बनाए थे।यहूदियों की वजह से निशाने पर होती हैं बेकरी
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार, पुणे की जर्मन बेकरी जैसे मुंबई या अन्य जगहों की बेकरी आतंकियों के निशाने पर हमेशा इसलिए रही हैं, क्योंकि वहां पर यहूदी और अमेरिकी नागरिक ज्यादा आते हैं। इसलिए ऐसी जगहें अलकायदा या लश्कर के निशाने पर होती हैं। फलस्तीन-इजराइल संघर्ष को लेकर इस्लामी चरमपंथियों में काफी गुस्सा रहता है। यही वजह है कि वे ऐसी जगहों को निशाना बनाते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा यहूदी लोग मारे जा सकें।क्या हुआ था 26 नवंबर को, कितने आतंकी आए थे
26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले को पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था। लश्कर के ये आतंकी कराची से अल हुसैनी नौका से आए थे। बाद में उन्होंने एमवी कुबेर नाम की एक भारतीय नौका पर कब्जा कर लिया था। मुंबई पहुंचते ही आतंकियों ने की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था, जो तीन दिन तक चला। मुंबई हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे।तीन दिन तक चला था आतंक
साल 2008 की 26 नवंबर की उस रात को एकाएक मुंबई गोलियों की आवाज से दहल उठी। हमलावरों ने मुंबई के दो पांच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू हुआ मौत का ये तांडव ताजमहल होटल में जाकर खत्म हुआ। इसे संभालने में सुरक्षाकर्मियों को 80 से भी ज्यादा घंटे लग गए।कसाब को फांसी और 9 बंदूकधारियों को मार गिराया
पुलिस ने मुंबई हमले के मुख्य आरोपी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। बाकी के 9 आतंकी पुलिस कार्रवाई में मारे गए थे। फरवरी 2009 में पुलिस ने मामले में अपना पहला आरोपपत्र दायर किया। ये 11,000 से अधिक पृष्ठों का था, जिसमें 2,000 से अधिक गवाहों के नाम थे। पुलिस ने हमलों की साजिश रचने और सहायता करने के लिए हाफिज सईद सहित 35 वांटेड आरोपियों को नामित किया। कसाब और दो भारतीय नागरिकों सहित तीन को गिरफ्तार किया गया और आरोप पत्र में नामित किया गया। 26/11 मामले की कसाब से जुड़े मामले कीी एक सुनवाई पूरी हो पाई। कसाब पर मुकदमा चला। उसे मौत की सजा सुनाई गई और 21 नवंबर, 2012 को उसे फांसी दे दी गई।अबू जिंदाल सलाखों के पीछे, चल रहा मुकदमा
मुंबई हमला मामले में एक और आरोपी जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबू जुंदाल, जिस पर पाकिस्तान में एक नियंत्रण कक्ष के माध्यम से हमले की रात शहर में प्रवेश करने वाले 10 आतंकियों की साजिश में साथ देने का आरोप है। वह मुकदमा का सामना कर रहा है। पुलिस ने कसाब की जांच से मिली जानकारी पर भरोसा किया था, जिससे पता चला कि जिस भारतीय ने उसे हिंदी सिखाई थी, वह अबू जुंदाल ही था।तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की कोशिश जारी
पाकिस्तानी मूज के तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कराने की मुंबई पुलिस की कोशिश सफल रही तो उसे एक अलग ट्रायल चलेगा। हाल ही में तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। इसी साल 15 अगस्त को अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत तहव्वुर को भारत भेजे जाने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ ही राणा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उसकी पिछली कई अपीलें खारिज हो चुकी हैं। अब अगर सुप्रीम कोर्ट भी तहव्वुर की अपील को खारिज कर देता है तो वह आगे और अपील नहीं कर पाएगा। इसके बाद तहव्वुर को भारत लाया जा सकेगा। तहव्वुर पर मुंबई हमले की फंडिंग का आरोप है।हेडली को अमेरिका में मिली 35 साल की सजा
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड सी हेडली ने 2011 में आतंकवादियों को हमलों की योजना बनाने में मदद करने का अपराध स्वीकार किया था। जनवरी 2013 में उसे अमेरिका की एक संघीय अदालत ने 35 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक हेडली ने अमेरिका से सौदा किया था कि वो उनके साथ पूरा सहयोग करेगा, बशर्ते उसे भारत या पाकिस्तान प्रत्यर्पित न किया जाए।हाफिज सईद और लखवी को सौंपे जाने की मांग कर चुका है भारत
लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सईद प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के कुछ अन्य नेताओं के साथ कई आतंकी वित्तपोषण मामलों में कई वर्षों तक दोषी ठहराए जाने के बाद 2019 से जेल में है। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी का नाम तो संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में भी शामिल है। भारत कई बार पाकिस्तान से इन दोनों को सौंपने की मांग कर चुका है।
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